बीकानेर-बखांण
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
दूहा
दे सुमती सगती दुरस,
पुनि उगती कँठ पूर।
जगती वरणां जँगल़ जस,
सती जती बड सूर।।1
जांगल़धर धिन जोगणी,
थपियो हाथां थाट।
बैठो बीको वरदधर,
पह जिकण धिन पाट।।2
कमधज बीकै वीर बड,
झूड़ किया अरि जेर।
जिण थपियो गढ जाहरां,
बंकै बीकानेर।।3
बीज शुकल़ बैसाग री,
पनरै साल पैंताल़।
सूर धरा सौभागगढ,
बीक थप्यो विरदाल़।।4
गहरा जल़ धोरा घणा,
विरछ कँटाल़ा बेख।
रतन अमोलख इण रसा,
नर-नारी धिन नेक।।5
छंद -त्रोटक
इल़ जंगल़ मंगल़ देश अठै।
जुड़ दंगल़ जीपिय सूर जठै।
थपियो करनी कर भीर थही।
सद बीक नरेसर पाट सही।।1
जगजामण आप देसांण जठै।
उजल़ी धर थान जहान उठै।
गहरा जल़ धूंधल़ धोर घणा।
तर बोरड़ कैरड़ जाल़ तणा।।2
हरियाल़ उनाल़ नुं जोम हरै।
भुइ फाबत हूंस उरां सभरै।
चर तोरड़ रीझ पता चरणी।
धिन धिन्न हु जांगल़ री धरणी।।3
देशणोक जु राय खल़ां दरणी।
वरदायक गल्ल कथा वरणी।
हरणी हर संकट हेर हथां।
करणी नित भीर सताब कतां।।4
नागणेचिय थांन जहांन नमै।
रँज भाखर ऊपर मात रमै।
चित साकर दूध रसाल़ चढै।
पड़ पाव कवेसर छंद पढै।।5
कमलापत धांम अमांम कियो।
दत राज राजेसर नाथ दियो।
लख लोग सदा जस लाभ लहै।
कट पातक ऐम पुरांण कहै।।6
दिस कोडमदेसर भैर दिपै।
थल़ थांन रूखाल़िय आप थपै।
मगरै कपिलायत धांम मही।
सुज मोचण पाप अनाप सही।।7
कर कांधल त्यागिय वीर कहो।
उण भांजिय दोयण धीर अहो।
पसरी धर सीम असीम पुणां।
सुज भाव लगाव उछाव सुणां।।8
हद बात धणी धर लूण हुवो।
वसु थापण वीदग बात बुवो।
धिन खाग बल़ां धिब माडधरा।
खित सौभिय भूप उदार खरा।।9
कमरू दल़ आय अटक्क कियो।
लग दोयण घेर आसेर लियो।
जद जैतल वीर सधीर जठै।
वणियो अगवाण अबीह बठै।।10
भिड़ियो रतवाह नत्रीठ भलो।
हिव मुग्गल फौज परै हमलो।
करवाल़ बल़ां जिण जेर किया।
डर काबल पाव सु छोड दिया।।11
कव सूजड़ रोहड़ क्रीत करी।
सच ऊफण सांभल़ बात सरी।
फब जीत धजा असमान फरै।
सह हिंदुस्तान कथा समरै।।12
दुनि दांनिय कर्मसी साख दखां।
उण सूंपिय आस नुं पूत अखां।
जिण होड नही धर और जुवो।
हर चक्क सिरोमण नांम हुवो।।13
दत कोड़ नरेसर राय दिया।
कव खूब करीबँध भूप किया।
सुण शंकर बारठ साख सची।
रट कायब रोहड़ जेण रची।।14
महि पातल रै हलचल्ल मची।
कछु होय अधीर नुं ताक कची।
पिथुराज हुवो गहलोत पखै।
रजपूत चित्तौड़ अनम्म रखै।।15
भगतां पिथुराज धरा ज भलो।
पकड्यो जिण माधव हाथ पलो।
कितरा रच कायब राच किया।
दतचित्त प्रभू दिस ध्यान दिया।।16
अमरेस हुवा अजरेल इसा।
जिण भांगिय आरबखान जिसा।
हद हारण खेत सुहेत हुवो।
वरियांम रणां सुरलोक बुवो।।17
मुगलां दलपत्त नहीं मुड़ियो।
जस जांगल़ काज जुधां जुड़ियो।
वर मोत लिवी हठियाल़ वसू।
जग राख गयो नरपाल़ जसू।।18
पत जांगल़ भूप करन्न पुणां।
सज तोड़िय ओरंग नाव सुणां।
कमधेस नवांखँड नांम
कियो।
लड़ जांगल़ पात'सा व्रिद लियो।।19
सजियो हिंदवांण रि भीर सही।
घट भांगण रोद सु सार गही।
अवरंग अरोड़ सूं युं अड़ियो।
जिणरो जस कायब में जड़ियो।।20
अवनी नरपाल़ अनै इसड़ा।
जग शारद सेव करी जिसड़ा।
भुइ साख भरै ग्रँथगार भली।
चरचा धिन भारत देश चली।।21
जग सूर हुवा पदमेस जिसा।
रिम दोटण खाटण क्रीत रसा।
छल़ बांधव शेर सधीर छिड़्यो।
बल़ गंजण रोद सक्रोध बड़्यो।।22
भड़ पैंड सदा अणबीह भर्या।
डग जेण भरी तुरकांण डर्या।
करवाल़ निसांणिय लालकिले।
हव आजतकै जिण गल्ल हलै।।23
दिल एक दूहै नवलाख दिया।
लख जीभ जिकै जस लूट लिया।
अवनाड़ उदार समान अखां।
पह नीर चढाविय चार पखां।।24
वरसै थल बादल़ रीझ वल़ै।
पड़ नीर अधीर झड़ां प्रगल़ै।
भल सांमण मास सरां भरिया।
हद खेत किसांन हुवै हरिया।।25
मधुरा सुर मोर झिंगोर मही।
सदभावण धोर सिंगार सही।
वरदाल़िय बाजर ऊंच बगी।
लटियाल़िय जायर आभ लगी।।26
वसुधा सुरियंद धणी बणियो।
हथ माथ दुकाल तणो हणियो।
मिसरी सम नीर मतीर मणा।
तिरपत्त मना थल़ देश तणा।27
धन धांन सधीणाय देख धरा।
हिव जोय जठीनुय दीख हरा।
घण गाजत आभ धुनी गहरा।
अड़डै जल धार निसि-अहरा।।28
सुरलोक समोवड भोम सही।
मनु आय गयो मघवान मही।
इण रुत्त फिरै फणियाल़ अही।
निजरां अवनी थल़ जोड़ नहीं।।
29
बसु तीजणियां बणियै -ठणियै।
उतरी अछरां मनु ऐ अणियै।
हद पैंड हस्तीय ज्यूं हलवै।
घण गीत उगीर मधु गलवै।।30
नर-नार उरां छल़ छंद नहीं।
सुधभाव लगाव रखाव सही।
कवि मन्न अनंद सु छंद कयो।
जय हो धर जंगल देश जयो।।31
छप्पय
जय हो जांगल़ देश,
जेथ राजै जगजामण।
सांमण मास सदैव,
सको मन मांय सुहामण।
रूपनाथ जिण रसा,
मुखां रटियो माहेसर।
जेथ तप्यो जसनाथ,
जांगल़ू गुरु जंभेसर।
साह सती सँत सूरा सकव,
लाट सुजस सारां लियो।
बीक री धरा धिन धिन बसू,
कवियण गिरधर जस कियो।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें