मोलासर ( मारवाड़ ) की बाजरी
भारत का सर्वश्रेष्ठ अनाज - मुग़ल शासक !
मुग़ल शासक अकबर ने जब मीना बाज़ार में नोरोज का मेला लगाना शुरू किया तब वह एक दिन भारत के अलग अलग प्रान्त के अनाज को देखकर, सबसे श्रेष्ठ अनाज के बारे में पुछवाया । तब वज़ीरों हाकिमों बावरचियो व्यापारियों ने मारवाड़ ( राजस्थान ) के गेहूँ को श्रेष्ठ बताया ।
मुग़ल शासक अहमदशाह के समय नागौर के राजा बखतसिंह जी जो मुग़ल मनसबदार थे तथा जब वे आगरा में थे तब एक दिन बादशाह ने उनसे उनके बलिष्ठ बदन का राज पूछा तब राजा बखत सिंह जी ने कहा की मोलासर की बाजरी का राज है । इस पर बादशाह ने मोलासर की बाजरी के भोजन का आदेश दिया तब राजा बखतसिंह जी ने कहाँ की ताज़े आटे की रोटी ( सोगरा ) मोलासर की गाय या भैंस के ताज़े दूध दही ओर मक्खन के साथ तथा नागौर की ज़ाटनी के हाथ का पिसा हुवा , उन्ही का बनाया भोजन होना चाहिये । देसी केर सांगरी कुमट व गवारफली की सब्ज़ी के साथ ये भोजन ग्रहण करे,
बादशाह के आदेश पर राजा बखतसिंह जी के डेरे से सभी व्यवस्था की गयी बादशाह ने आदेश दिया की मोलासर की बाजरी सरकार में ख़रीद की जाये। इस तरह रातों रात मोलासर की बाजरी के भाव बढ़ गये सदियों तक राजस्थान की बाजरी मोलासर की बाजरी के नाम से बिकती रही ।
कहते है बादशाह भोजन के पश्चात बहुत ख़ुश हुवा । उसने आदेश किया की उसके शाही रसोडे में इसकी व्यवस्था की जाये ।मोलासर के दो होशियार जाट अपनी अौरतौ व गाय - भेंसो समेत बादशाही नोकर हो गये ।
मारवाड़ के प्रसिद्ध इतिहासकार जगदीश सिंह गहलोत ने भी इस घटना का उल्लेख अपनी पुस्तक मारवाड़ राज्य के इतिहास में किया है वे लिखते है की मोलासर के दोनो जाट परिवार राजा को ख़ुफ़िया जानकारी भी देते थे ।
आज भी मारवाड़ के रेगिस्तान में होने वाली बाजरी सबसे अच्छा अनाज है जिसने किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती क्योंकि न तो इसमें किसी दवाई का छिड़काव होता है ओर ना हीं मिलावट । लाखों टन बाजरी की पैदावार होती जो केवल वर्षा पर निर्भर है । ये वे खेत है जहाँ केवल वर्षा काल में ही खेती होती है । सरकार ओर जैविक(ओरगेनिक )अनाज के चाहने वाले यदि इस अनाज को मोलासर की बाजरी की तरह महत्त्व दे तो लाखों किसानो को अनाज के उचित दाम मिल सकते है । सब्ज़ियों में केर सांगरी पूरी तरह जैविक (ओरगेनिक )है ।आज केवल राजा बखतसिंह जी के जैसी सोच वाले जन प्रतिनिधियों किसानो ओर नोकरशाही की ज़रूरत है।
बाजरी पोषक से भरपूर है इसमें विटामिन खनिज आदि सभी पदार्थ है जो शरीर को निरोगी बनाता है । अनेक बीमारियों से बचाता है । 42 डिग्री से अधिक तापमान में भी इसकी खेती की जा सकती है । आज दुनिया के विद्वान ओर वैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकार कर चुके है । अब देरी किस बात की है भाइयों स्वदेशी अपनाओ ओर स्वस्थ रहो ।
जय मारवाड़ जय राजस्थानी
जय बाजरी !
किसी ने सच ही कहा है —-
आकड़े की झोंपड़ी फोगन की बाड़
बाजरी का सोगरा मोठन की दाल
देखी राजा मानसिंघ थारी मारवाड़
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