शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

योद्धा पत्ता परमार


योद्धा पत्ता परमार

बात उन दिनों की है जब चितलवाना पर राव आन्नदसिंह चौहान का शासन था जो सांचौरा चौहानो की #बल्लूओत् शाखा से थे।
एक दिन चितलवाना के कोट में सरदारो की बैठक थी।
 चौहान सरदार आपस में अफीम-पान कर रहे थे और हुक्के से तम्बाकू का कश खींच रहे थे वैसे ठाकुर के साथ हुक्का-पान करने का अधिकार साधारण सरदारों को नही था, फिर भी #पत्ता_परमार ने जो साधारण राजपूत सरदार था हुक्का-पान करने के लिए अपना हाथ हुक्के की ओर बढ़ाया! 
इस पर वहां उपस्थित चौहान सरदारों ने उसका हाथ पकड़ लिया।
पत्ता परमार ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोध में आकर हुक्का फोड़ दिया और अपने घर आ गए।
कुछ समय बाद मुसलमान सरायां ने चितलवाना की गाये घेर ली उस समय पत्ता परमार नारु (बाला)रोग से ग्रसित थे और चारपाई पर लेटे हुए थे।
पत्ता की मां ने अपने पूत्र से कहा की जिसका तूने हुक्का फोड़ा था उस पर सरायें चढ़ आए हैं और गांव की गाये घेर ली है। हुक्का फोड़ कर तूने कोई वीरता का कार्य नहीं किया है!
 अब इस विकट घड़ी में हाथ चलाए तो तेरा यश रहेगा!
मां के वाक्य सुनकर पत्ता परमार को जोश आ गया।
वह अश्वारुढ़_होकर बड़े वेग से क्षत्रुओ पर टूट पड़े। उनके वार से सेनाध्यक्ष घोड़े से नीचे गिर गया उसने नीचे पड़े ही पत्ता के तीर मारा जिससे पत्ता भी घोड़े से नीचे गिर गये लेकिन उन्होंने पुनः सम्भल कर अपनी तलवार से सेनाध्यक्ष पर वार किया जिससे उसके #प्राण_पखेरु उड़ गये।
बाद में घायल पत्ता परमार ने हुक्का-पान करने की इच्छा प्रकट की। इस पर चौहान सरदारों ने पत्ता को बड़े सम्मान के साथ हुक्का-पान कराया और हुक्का-पान करने के कुछ ही क्षण पश्चात पत्ता परमार #वीरगति को प्राप्त हुए।
इस प्रकार पत्ता परमार ने स्वामीभक्ति का परिचय देकर आखिर मरते समय चौहान सरदारों के साथ हुक्का-पान करने का सम्मान पा ही लिया।
#परमार_एक_सुप्रसिद्ध_राजवंश_है जिसमें भोज परमार जैसे शूरवीर व दानी योद्धा हुए। मारवाड़ में परमारो की #काबा,#भायल, #सोढ़ा,#सांखला, #वाल्हा,#महपावत् आदी उपशाखाओ के ठिकाने व गांव रहे हैं जो वर्तमान में भी इन ठिकानों तथा गांवों में आबाद है।
परमार_व_पवांर_एक_ही_राजवंश_है।

पवांर राजवंश का ये #दोहा प्रसिद्ध है--
                        
"जंह पवांर तंह धार है, जहां धार वहां पवांर।
धार बिना पवांर नहि,नहि पवांर बिन धार।।"

स्रोत

सोनगरा व सांचौरा चौहानों का इतिहास
(डॉ.हुकमसिंह भाटी)

वीर पत्ता जी का जन्म जालोर जिले के #सांथू गांव में हुआ था। लुटेरो से गांव की रक्षा करते हुए इन्होंने प्राण उत्सर्ग कर दिए। सांथू गांव,जालोर में इनका विशाल मन्दिर है जहां भाद्रपद शुक्ला नवमी को मेला भरता है।

(स्रोत- राजस्थान का इतिहास,कला, संस्कृति, साहित्य,परम्परा एवं विरासत)

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