सपूत कै सो पीढ़ी -
एक पैंतालिसा का भोजराजजिका शेखावत ठाकुर अपने ऊंट पर चढ़ा खेतड़ी के पास से गुजर रहा था सो सोचा चलो राजाजी से मिलते हुए निकल जाते हैं। इस समय अजित सिंह जी खेतड़ी के राजा थे अपने जमाने के वे बहुत ही ख्यातिनामा राजा हुए हैं। खेतड़ी ,नवलगढ़ ,मंडावा ,बिसाऊ ,अलसीसर ,मुकन्दगढ़ ये सभी भी भोजराजजिके शेखावत ही हैं। शार्दुल सिंघजी के झुंझुनू लेने से इनकी जागीर बड़ी हो गयी। किन्तु पग में छोटे होने से ये सभी पैंतालिसा वाले ठाकुरों को दादाजी कहते थे।
सो इन ठाकुर साहब ने गढ़ में जाकर ऊंट तो बाँध दिया व वहां खड़े चोकीदार को कहा की राजा जी को अर्ज कर कि आपके दादाजी मिलने आये हैं। राजा जी शायद दादाजी शब्द से थोड़ी चिड गये थे सो चोकीदार को बोले की उन से पूछ की "भोजराज जी से कुण सी पीढ़ी में लागो हो " -उस ज़माने के लोग बात बिना लाग लपेट के व सीधी करते थे। सो इन ठाकुर साहेब ने उतर भिजवाया की " सपूत कै तो सो पीढ़ी लागां अर कपूत कै एक ही पीढ़ी कोनी लागां _ " कहते हैं राजा जी ने उन को उपर बुलाने की जगह खुद ही मिलने को नीचे आगये।
मदनसिंह शेखावत झांझड की पोस्ट
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