भाटी राजपूत गेट--पाकिस्तान
लाहौर(पंजाब, पाकिस्तान) की उन हरी दीवारों के मध्य केसरिया (राजपूती आन बान शान) और भाटी राजवंश के स्वर्णिम इतिहास को बयां करता यह भाटी दरवाजा|
लाहौर शहर में स्थित यह राजपूत भाटी गेट, मुल्तान पर राज्य स्थापित करने की याद में भाटी शासक द्वारा बनवाया गया।
यह गेट आज भी लाहौर में राजपूत भाटी गैट नाम से जाना जाता है |
भाटी गेट लाहौर के ऐतिहासिक तेरह फाटकों में से एक है।
राजपूत भाटी गेट पुराने शहर की पश्चिमी दीवार पर स्थित है। राजपूत भाटी गेट को ऐतिहासिक रूप से ओल्ड लाहौर में कला और साहित्य के केंद्र के रूप में जाना जाता है। गेट लाहौर के हकीमन बाजार के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में कार्य करता है |भाटी गेट लाहौर जिले की तहसील रवि में केंद्रीय परिषद 29 के रूप में भी कार्य करता है।
श्री कृष्ण की 90 वी पीढ़ी में जन्मे राजा भाटी लाहौर की राजगद्दी पर विराजे| भाटी का अधिकार गजनी और ह सार तक रहा फिर भटनेर (वर्तमान हनुमानगढ़) नगर बसाया और भटनेर को अपनी राजधानी बनाया| भाटी जी ने 14 युद्धों में विजय प्राप्त की | इसके पश्चात राजा_भाटी के पुत्र राजा भूपत लाहौर की राजगद्दी पर विराजे और भटनेर के किले का निर्माण करवाया| भटनेर के किले के बारे में तैमूर लंग ने अपनी आत्मकथा "तुजुक-ए-तैमूरी" में कहा है कि मैंने इतना मजबूत और इससे सुरक्षित किला पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं देखा |
इसके समय जब खुरासानी सेना मुल्तान तक पहुंची तो भूपत ने उस पर धावा बोला 3 दिन के घमासान युद्ध में खुरासानी सेना हार गई | भूपत ने यवनों की ऐसी कमर थोड़ी थी कि डेढ़ सौ वर्ष तक भारत की भूमि पर कोई आक्रमण नहीं किया|
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