शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

दुरगादास रौ सुजस

दुरगादास रौ सुजस 

कमधज कुल़ री कीरती,मारवाड़ सिरमोड़।।
अनमी   सेवक  ऊजल़ौ, दुरगदास राठौड़।।(१)

आसकरण सुत ओल़खै,जसवंतें जोधांण।।
सैनिक  राख्यौ सूरमों,दुरगदास  कर तांण।।(२)

अरक ताप अत आकरौ,जसवंत करै छांव।।
मान  राखियौ  मौकल़ौ,दुरगे  तणो  उमाव।।(३)

धवल़ मना सामी धरम,धरणी धरियौ धीर।। 
अवल असूलीआदमी, दुरगो कमधज वीर।।(४)

अंगरकसक  अजीत रौ,छतर बणै की छांव।।
हरपल  सह  रह हेत सूं, दुरगे  खेल्या  दांव।।(५)

लेस न रहियौ लालची, स्याम धरम सूं नेह।।
जोधांणै  रख   जाबतौ,दुरगे   सहियौ   देह।।(६)

काचा  राजा  कान रा,दुरग छुड़ायौ देस।।
भूल करी हद भूपती,तन मन लाए  तेस।।(७)

हड़ूमान ज्यूं हालियौ,रजवट पाल़ै रीत।।
दुरगै साथै देखतां,ओछी करी अजीत।।(८)

सूरज चांद  गगन सदा,धर दुरगे  रौ  नाम।।
वीर सिरोमणी वसुधा,सेवक धरमी स्याम।।(९)

कमधज कीरत कारणै,कुल़भूसण  करणोत।।
दुरगे  री  दरियादिली, जस री जगमग जोत।।(१०)

छिपरा  तट  रै   छेवटै, दुरगे   त्यागी   देह।।
दो गज जमी न दे सकै, छुछकै कीधौ छेह।।(११)

राठौड़ी राखी रिदै,भुजबल़ सूं  भरपूर।।
कीरत दुरगादास री,दसां  दिसावां दूर।।(१२)

अंतस रौ नीत ऊजल़ौ,आसकरण री आस।।
कमधज  कुल़  रौ  केहरी,धरमी  दुरगदास।।(१३)

सामधरम पाल़ै सदा,अनमी राखी  आंण।।
सूरवीर  दुरगो  सही, धरा   प्रीत जोधांण।।(१४)

सफीयतुनिसा  सहज सै,ओल़खती आवाज।।
दुरगदास  नह  देखियौ, सरणागत  सरताज।।(१५)

मुकनदास  खींची  मिलै,दिल्ली  रै  दरबार।।
अवल अजीत उठावियौ,दुरगदास सिरदार।।(१६)

फैली  सुवास  फूठरी, कीरत   हंदा  काज।।
दुरगो छिपरा दागियौ,रल़पट मिनखां राज।।(१७)

ओरंग आंख औजका,दुरगो सिंघ दहाड़।।
दरबारी धूजै दरस,हरवल  खड़ौ  पहाड़।।(१८)

कमधज रण में काटकै,घणो कियौ घमसांण।।
मुंड  काटिया   मौकल़ा, सूरै   दुरग  सुजांण।।(१९)

चरित दुरग रै चांदणै,रजपूती रखवाल़।।
पीढ़ी दर पीढ़ी पढ़ै,खासौ राख खयाल।।(२०)

दुरगे रिपुदल़ दाटिया,हित स्वामी हरमेस।।
संघर्षरत रयौ सदा, परम    रूप  परमेस।।(२१)

सत सत नमन सिरोमणी,वाल्हो वसुधा वीर।।
दुरगे सम  नह  देखियौ,सटकातौ   समसीर।।(२२)

अमर हुवौ इल़ ऊपरै, जस   फैल्यौ पुरजोर।।
कमधज कीरत कारणै, गरब फिरां चहुँओर।।(२३)

रिदै मरठ हद राखतौ,प्रण पाल़्या प्रयास।।
इल़ होयौ नह ऐहड़ौ,जिसड़ौ  दुरगादास।।(२४)

चउदस  सांवण  चांदणी,दरसण दुरगादास।।
आसकरण रै आंगणै,असल खुसी उल्लास।।(२५)

माँगू सिंह बिशाला

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें