मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

खुन की पवित्रता

खुन की पवित्रता

एक‌ समय की बात है जालोर के राजा कान्हडदेव चौहान राज्य करते थे , उनका पुत्र वीरमदेव  अल्लाउद्दिन खिलजी की सेना में नोकर था , खिलजी की फोज में एक हांजी खाँ पठान था वह मलयुद्ध करके अच्छे अच्छे राजपूत वीरों को परास्त कर मार दिया करता था ।
         वीरमदेव को जब इस बात का पता चला तो वीरमदेव ने बादशाह खिलजी को कहा अगले युद्ध में हांजी खाँ पठान को में चुनोती दुँगा ।
जब इन दोनो के बीच मलयुद्ध हो रहा था तब युद्ध को बादशाह की बेटी फिरोजा अपने महल के झरोखे से देख  रही थी , वीरमदेव ने हाँजी खाँ पठान को मलयुद्ध मे परास्त कर मार डाला , तब फिरोजा उस वीर वीरमदेव पर मोहित हो गयी ओर अपनी माँ के द्वारा बादशाह को कहलवाया की फिरोजा वीरमदेव से शादी करना चाहती है।
यह बात बादशाह ने वीरमदेव को बतायी तो *वीरमदेव ने कहा- शादी ब्याह हमारे बड़े बुजुर्ग तय करते हैं*
बादशाह खिलजी ने जालौर कान्हडदेव चौहान के पास चिट्ठी भेजी ओर यह सब वृतान्त बताया।

*तब कान्हडदेव सोनगरा ने वापस जवाब दिया की शादी सम्बन्ध हमारे यहाँ बराबर वालों में तय‌ होते हैं*। में एक छोटी सी जागीर का मालिक कहाँ आप दिल्ली के बादशाह  , तो फिर बादशाह ने जालोर कान्हडदेव के पास   हाथी , घोड़े, सेना , धन,  दोलत सबकुछ भेजने की इच्छा जताई ओर कहा कि में यह सब भेज रहा हुँ , जिससे आप अपने किले को हमारे किले जैसा बनाकर  हमारे बराबर बनो ।

इतना वृतान्त होने के बाद जालोर के राजा कान्हडदेव सोनगरा बादशाह खिलजी की मंशा अच्छी तरह समझ गये ओर चिट्ठी लिखकर भेजी की हमारे यहाँ बारात हम लेकर आते है आप वीरमदेव को जालोर भेजो बादशाह ने वीरमदेव को जालोर भेज दिया ओर कहा अब शादी की तैयारियां करो ,  तब वीरमदेव ने बादशाह के लिए  चिट्ठी  लिखी -  
*मामा‌ लांज्यै भाटियाँ , कुल लाज्यै चौहान।
वीरम परणै तुर्कडी ,उल्टो ऊगह भान।।

अर्थात्

*में  वीरमदेव अगर इस विधर्मी से शादी करता हुँ तो पहले मेरे मामा जो भाटी सरदार है वो लजाएँगे , फिर मेरा जो चौहान कुल है वो शर्म में डुब जाएगा , अर्थात मेरा इस विधर्मी से  शादी करना सुरज के उल्टे उगने के समान है*

बादशाह खिलजी ने जेसे ही यह चिट्ठी देखी ओर वापस चिट्ठी भेजी की- जालोर खाली करो।

इस पर वीरमदेव ओर कान्हडदेव ने चिट्ठी लिखकर कहा कि -
*आग फटै धरां उल्टै , कटैं वक्त रां कॊर*।
*धड़ तड़पे सिर कटै , जद छुटै जालौर* ।।

*ऎसे थे पहले हमारे पुर्वज* -

*एक विधर्मी से शादी करना उन्हें कँही बर्दाश्त नही था* ।
धन ,दौलत, हाथी, घोड़े, सेना उनके लिए कोई मायने नही रखती थी ।

*खुन की पवित्रता ही उनके लिए सबकुछ थी*।

ओर आज कि नयी पीढ़ी कोर्ट मैरीज  में अपनी शान समझती है
कँही लड़का भगा रहा है , कँही लड़की भाग रही है।

विचार करें मनन करें
हम अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहें हैं।

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